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लेखनी प्रतियोगिता -20-Aug-2022


जिंदगी का तू मेरे
ऐसे न बंटाधार कर
मैं बहुत बर्बाद हूँ
अब तू न मुझसे प्यार कर।

मेरे घरवालों की मुझसे
आखिरी ये आस है
बारवीं में वैसे भी 
मेरा तीसरा प्रयास है
देख लेने दे किताबें
धूल थोड़ा झाड़कर
मैं बहुत बर्बाद हूँ 
अब तू न मुझसे प्यार कर।।

चलता हूँ गलियां बदलकर
सारे मुझको टोकते हैं
तेरे पिछले पांच प्रेमी
मेरा रस्ता रोकते हैं
भूल मुझसे हो गयी
देखा जो तुझको झांककर
खुद ही मैं बर्बाद हूँ
अब तो मुझे तू माफकर।।




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22 Comments

Pankaj Pandey

22-Aug-2022 01:13 PM

Very nice

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Anshumandwivedi426

22-Aug-2022 10:48 PM

Thanks so much

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Seema Priyadarshini sahay

22-Aug-2022 08:45 AM

बेहतरीन रचना

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Anshumandwivedi426

22-Aug-2022 10:16 AM

सादर धन्यवाद

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Chetna swrnkar

21-Aug-2022 11:33 AM

Nice

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Anshumandwivedi426

21-Aug-2022 11:38 AM

Thanks

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